अमेरिकी प्रेसिडेंशियल डिबेट हारे तो निक्सन को गाली पड़ी:कल इसी बहस के लिए आमने-सामने होंगे ट्रम्प और बाइडेन; 5 सवालों में जानिए सबकुछ

साल 1858...अमेरिका के इलिनॉय राज्य में सीनेट (राज्यसभा) के चुनाव हो रहे थे। रिपब्लिकन पार्टी के अब्राहम लिंकन और नॉर्दन डेमोक्रेट्स के स्टीफन डगलस के बीच मुकाबला था। डगलस जहां भाषण देते लिंकन भी वहां पहुंच जाते।

अमेरिकी प्रेसिडेंशियल डिबेट हारे तो निक्सन को गाली पड़ी:कल इसी बहस के लिए आमने-सामने होंगे ट्रम्प और बाइडेन; 5 सवालों में जानिए सबकुछ
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अमेरिका की प्रेसिडेंशियल डिबेट का इतिहास

साल 1858

अमेरिका के इलिनॉय राज्य में सीनेट (राज्यसभा) के चुनाव हो रहे थे। रिपब्लिकन पार्टी के अब्राहम लिंकन और नॉर्दन डेमोक्रेट्स के स्टीफन डगलस के बीच मुकाबला था। डगलस जहां भी भाषण देते, लिंकन वहां पहुंच जाते और डगलस के भाषणों की खामियां निकालते। लिंकन के यूं पीछा करने से तंग आकर डगलस ने उन्हें बहस की चुनौती दी। मौके के इंतजार में बैठे लिंकन तुरंत तैयार हो गए। इसी की तर्ज पर 102 साल बाद 1960 में पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई। कल, अमेरिका के प्रेसिडेंशियल डिबेट के इतिहास को आगे बढ़ाते हुए डोनाल्ड ट्रम्प और जो बाइडेन आमने-सामने होंगे। यह 14वीं प्रेसिडेंशियल डिबेट होगी। 64 साल बाद यह डिबेट टीवी स्टूडियो में लौटेगी। इसे अटलांटा में मीडिया नेटवर्क CNN के स्टूडियो में कराया जाएगा। 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले सितंबर में दूसरी डिबेट होगी, जिसे ABC होस्ट करेगा।

5 सवालों और 4 किस्सों में जानिए अमेरिका की प्रेसिडेंशियल डिबेट की अहमियत

सवाल 1: प्रेसिडेंशियल डिबेट क्या होती है?

जवाब: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले उम्मीदवारों के बीच अहम मुद्दों पर बहस कराई जाती है। इसके आधार पर वोटर्स उम्मीदवारों को लेकर राय बनाते हैं। इसे प्रेसिडेंशियल डिबेट कहा जाता है। 1960 की पहली डिबेट में, जिन लोगों ने इसे टीवी पर देखा उन्होंने कैनेडी को बेहतर माना, वहीं जिन लोगों ने रेडियो पर डिबेट सुनी, उन्होंने निक्सन को विजेता बताया। इसकी वजह थी कि निक्सन की विदेश नीति पर गहरी पकड़ थी और वे रेडियो डिबेट्स में भी एक्सपर्ट थे। निक्सन के खराब प्रदर्शन के कारण, उनके रनिंगमेट रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नाराज हो गए और निक्सन को गाली दी, कहा कि 'इस कुत्ते के बच्चे की वजह से हम चुनाव हारेंगे।' 1960 में निक्सन चुनाव हार गए और कैनेडी जीते। यह डिबेट इतनी लोकप्रिय हुई कि इसे अमेरिका के हर तीसरे आदमी ने देखा।

सवाल 2: डिबेट में जीत-हार का फैसला कैसे होता है?

जवाब: जीत-हार तय करने के चार पैमाने हैं:

  1. जनता की प्रतिक्रिया
  2. मीडिया की कवरेज
  3. पोल के नतीजे
  4. विशेषज्ञों की राय

सवाल 3: अमेरिकी प्रेसिडेंशियल डिबेट्स कहां कराई जाती हैं?

जवाब: 1960 में हुई पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट टीवी स्टूडियो में कराई गई थी। इस बहस को CBS, NBC और ABC ने प्रसारित किया था। इसके बाद लगातार तीन चुनाव (1964, 1968 और 1972) में डिबेट नहीं हुई। 1976 में डिबेट्स का आयोजन फिर शुरू हुआ, लेकिन यह टीवी स्टूडियो में न होकर कॉलेज, थिएटर और म्यूजिक हॉल जैसी सार्वजनिक जगहों पर होती थी। 1976 से 1984 तक इन डिबेट्स को लीग ऑफ वुमेन वोटर्स (LWV) नामक संस्था ने स्पॉन्सर किया। 1987 में LWV ने स्पॉन्सरशिप वापस ली तो बहस के लिए 'कमिशन ऑन प्रेसिडेंशियल डिबेट' बनाया गया। इस कमिशन ने 1988 से 2020 तक 9 बहसें करवाई। 2020 में रिपब्लिकन पार्टी ने इसके तरीकों पर ऐतराज जताया, जिससे कमिशन ने इस बार बहस से दूरी बना ली। 2024 में 64 साल बाद प्रेसिडेंशियल डिबेट्स की टीवी स्टूडियो में वापसी होगी। इसका आयोजन CNN और ABC करेंगे।

सवाल 4: बहस के नियम क्या हैं? टॉस से कैसे तय होता है कि उम्मीदवार किस तरफ खड़े होंगे?

जवाब: 1960 से 1988 तक कैंडिडेट्स पत्रकारों के पैनल के सवालों के जवाब देते थे। तब मॉडरेटर का काम सिर्फ नियमों को समझाना होता था। हालांकि, इसमें एक परेशानी थी कि पत्रकारों का पैनल उम्मीदवारों का बहुत ज्यादा समय लेता था और बहस के दौरान उनका ध्यान भी भटकाता था। 1992 से पैनल सिस्टम हटा दिया गया। 1992 में वोटर्स ही कैंडिडेट्स से सवाल करने लगे। लेकिन अगली बार से इसे भी हटा दिया गया और 1996 से मॉडरेटर ही सवाल पूछने लगे। बहस में उम्मीदवार किस तरफ खड़ा होगा इसके लिए टॉस होता है। टॉस जीतने वाले उम्मीदवार को दो में से एक विकल्प चुनना होता है। या तो वे अपनी पसंद की साइड चुन सकते हैं या क्लोजिंग रिमार्क्स दे सकते हैं। इस बार का टॉस बाइडेन ने जीता है और उन्होंने खड़ा होने के लिए सबसे मुफीद जगह (स्टेज का बायां हिस्सा) चुना। रिसर्च के मुताबिक इंसान जब कुछ देखता है तो उसका ज्यादा ध्यान दाईं तरफ होता है, जिससे बाइडेन को जनता से ज्यादा अटेंशन मिलेगी। वहीं, डोनाल्ड ट्रम्प को क्लोजिंग स्टेटमेंट देने का मौका मिलेगा।

सवाल 5: ट्रम्प से ज्यादा बाइडेन के लिए क्यों अहम है प्रेसिडेंशियल डिबेट?

जवाब: 27 जून की डिबेट में पहली बार ऐसा होगा जब कोई वर्तमान राष्ट्रपति (बाइडेन) किसी पूर्व राष्ट्रपति (ट्रम्प) से बहस करेगा। बाइडेन डेमोक्रेटिक और ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, मगर अब तक दोनों ही पार्टियों ने इन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। ट्रम्प को जुलाई में और बाइडेन को अगस्त में पार्टी से सिंबल मिलने की उम्मीद है। यह डिबेट बाइडेन के लिए अहम है क्योंकि वे अपनी उम्र को लेकर आलोचकों के निशाने पर हैं। कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें बाइडेन के हाव-भाव उनकी उम्र को लेकर हो रही आलोचनाओं को सही ठहराते हैं। यह डिबेट बाइडेन के लिए अग्निपरीक्षा के समान है, क्योंकि 90 मिनट तक पूरी दुनिया की नजर उन पर होगी। बाइडेन के लिए प्लस फैक्टर यह है कि वे पिछले चुनाव की डिबेट में ट्रम्प पर भारी पड़े थे। यदि बाइडेन इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उनकी उम्र को लेकर हो रही आलोचनाएं गलत साबित हो जाएंगी। उनकी छोटी सी भी गलती डेमोक्रेटिक पार्टी में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बदलने की मांग को तेज कर देगी।

अमेरिका की प्रेसिडेंशियल डिबेट से जुड़े रोचक किस्से

किस्सा 1: जनता कमजोर न समझे इसलिए 27 मिनट खड़े रहे उम्मीदवार

कार्टर और फोर्ड की बहस रूस-अमेरिका के बीच चल रहे शीत युद्ध के दौरान हुई थी। डिबेट में जेराल्ड फोर्ड ने कहा कि रूस का पूर्वी यूरोप पर किसी तरह का दबदबा नहीं है, जबकि अमेरिका में हर कोई जानता था कि पूर्वी यूरोप के ज्यादातर देशों पर सोवियत रूस का असर था। फोर्ड की यह बात सुनकर न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार मैक्स फ्रैंकल ने फोर्ड के दावे का खंडन कर दिया। इस विवाद से फोर्ड की छवि ऐसी बन गई कि वे जानकारी के बिना बोलते हैं और 1976 के चुनाव में हार गए। इसी बहस के दौरान माइक भी खराब हो गया था, जिसके चलते उम्मीदवारों को 27 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। इस दौरान न तो कार्टर और न ही फोर्ड ने बैठने को कहा, उन्हें डर था कि जनता उन्हें कमजोर न समझे।

किस्सा 2: जब रीगन ने साबित किया- उम्रदराज होना हमेशा घाटे का सौदा नहीं…

1984 में राष्ट्रपति पद की डिबेट्स के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति और 73 साल के रिपब्लिकन कैंडिडेट रोनाल्ड रीगन डेमोक्रेट कैंडिडेट 56 साल के वॉल्टर मोंडेल से पिछड़ रहे थे। मीडिया में उनकी अधिक उम्र को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे, लेकिन रीगन के एक जवाब ने पूरा माहौल बदल दिया। पैनलिस्ट ने रीगन से पूछा कि क्या इतनी अधिक उम्र होने के बाद वे राष्ट्रपति जैसे अहम पद की जिम्मेदारी ठीक से निभा पाएंगे? इस पर रीगन ने चालाकी से जवाब दिया- "मैं इस डिबेट्स में जीत हासिल करने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी की कम उम्र और अनुभवहीनता का फायदा नहीं उठा सकता।" उन्होंने कहा- "अगर बुजुर्गों ने युवाओं की गलतियों को नहीं सुधारा होता तो दुनिया में कोई देश नहीं होता।" रीगन ने उम्र को अपनी ताकत के तौर पर पेश किया और चुनाव जीत गए।

किस्सा 3: जब कैंडिडेट से पूछा गया- पत्नी के रेपिस्ट के साथ कैसा सलूक करेंगे?

1988 में राष्ट्रपति पद की बहस में एक एंकर ने डेमोक्रेट कैंडिडेट माइकल डुकाकिस से मौत की सजा को लेकर उनके विरोध के मुद्दे पर सवाल पूछा, जिसमें उनकी पत्नी का भी जिक्र था। एंकर ने पूछा कि अगर आपकी पत्नी का कोई रेप करने के बाद हत्या कर देता है, तो क्या आप उसकी मौत की सजा का समर्थन नहीं करेंगे? इस पर डुकाकिस ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मौत की सजा कोई सॉल्यूशन है। उनके इस जवाब को जनता ने पसंद नहीं किया। बाद में डुकाकिस ने अफसोस जताया और कहा- "काश मैंने कहा होता कि मेरी वाइफ इस दुनिया में मेरे लिए सबसे कीमती चीज है।"

किस्सा 4: डिबेट में बोर हो गए थे बुश, घड़ी देखने लगे

अक्टूबर 1992 में राष्ट्रपति बुश, डेमोक्रेटिक कैंडिडेट बिल क्लिंटन और स्वतंत्र उम्मीदवार रॉस पेरौट के बीच बहस हो रही थी। इस दौरान ऑडिएंस में खड़े एक सदस्य ने बुश से आर्थिक मंदी से जुड़ा एक सवाल पूछा। जब यह सवाल पूछा जा रहा था तो बुश अपनी घड़ी देख रहे थे। वे सवाल ठीक से सुन भी नहीं पाए। उनके इस जेस्चर को लेकर अखबारों ने लिखा कि बुश डिबेट में बुरी तरह बोर हो गए और वे ज्यादा देर तक इसका हिस्सा नहीं बने रहना चाहते थे। इससे लोगों के बीच गलत संदेश गया और वे चुनाव हार गए।

इस लेख में  अमेरिकी प्रेसिडेंशियल डिबेट हारे तो निक्सन को गाली पड़ी:हुई के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है। यदि आपके पास इस विषय पर कोई और प्रश्न हों या और जानकारी चाहिए, तो कृपया हमें टिप्पणी के माध्यम से बताएं। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें फॉलो करना न भूलें।

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