देवशयनी एकादशी 2024: व्रत के बिना यह कार्य अधूरा है, जीवन में आएंगी खुशियां!

देवशयनी एकादशी 2024: इस व्रत के बिना यह कार्य अधूरा माना जाएगा। इस अवसर पर जीवन में खुशियां लाने की आशा की जाती है। जानें व्रत की महत्वपूर्ण जानकारी और धार्मिक मान्यताओं के बारे में।

देवशयनी एकादशी 2024: व्रत के बिना यह कार्य अधूरा है, जीवन में आएंगी खुशियां!
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देवशयनी एकादशी 2024: व्रत के बिना यह कार्य अधूरा है, जीवन में आएंगी खुशियां!

देवशयनी एकादशी, जिसे 'हरिशयनी एकादशी' या 'पद्मा एकादशी' भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह तिथि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है और इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं। इस एकादशी से चातुर्मास का आरंभ होता है जो कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 2024 में 12 जुलाई को मनाई जाएगी।

देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में जाते हैं और चार महीनों तक वही रहते हैं। इसे देवताओं के सोने का समय माना जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि नहीं किए जाते। ये चार महीने 'चातुर्मास' कहलाते हैं, जो साधना और भक्ति के लिए विशेष माने जाते हैं।

इस एकादशी का धार्मिक महत्व भी अत्यंत है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन में खुशियां और समृद्धि आती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

देवशयनी एकादशी व्रत विधि

देवशयनी एकादशी का व्रत करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:

  1. स्नान और संकल्प: व्रत वाले दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें।

  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए तुलसी के पत्ते, पुष्प, धूप, दीप, चंदन, फल, पान, सुपारी, नारियल, मिठाई आदि की व्यवस्था करें।

  3. पूजा की विधि: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें। भगवान विष्णु को फूलों की माला पहनाएं और उन्हें ताजे फल और मिठाई का भोग लगाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या विष्णु भगवान के भजन गाएं।

  4. रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि में जागरण का भी विशेष महत्व है। भक्तजन पूरी रात जागकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।

  5. द्वादशी पारण: अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

देवशयनी एकादशी के लाभ

देवशयनी एकादशी के व्रत और पूजा से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. पापों का नाश: इस दिन व्रत करने से पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  2. सुख-समृद्धि: भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

  3. स्वास्थ्य लाभ: व्रत रखने से शरीर को भी कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है।

  4. आध्यात्मिक उन्नति: इस दिन की पूजा और व्रत से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

देवशयनी एकादशी की कथाएं

देवशयनी एकादशी से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा है:

महर्षि नारद और भगवान विष्णु की कथा: एक बार महर्षि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि देवशयनी एकादशी का महत्व क्या है। तब भगवान विष्णु ने बताया कि यह एकादशी अत्यंत पुण्यदायक है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसे सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है। यह व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और वह स्वर्गलोक में वास करता है।

चातुर्मास का महत्व

देवशयनी एकादशी से आरंभ होने वाले चातुर्मास का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इन चार महीनों में भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। यह समय साधना, भक्ति और आत्मचिंतन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

निष्कर्ष

देवशयनी एकादशी का व्रत और पूजा भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का उत्तम मार्ग है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां भी लाता है। इस पवित्र दिन पर व्रत रखकर और भगवान विष्णु की आराधना करके सभी भक्त अपने जीवन को सफल और समृद्ध बना सकते हैं। देवशयनी एकादशी के इस व्रत को धारण करें और भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन में नई ऊर्जा और आनंद का अनुभव करें।

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