भारतीय इतिहास की वो मुस्लिम राजकुमारी जिसने किया दिल्ली की सल्तनत पर राज
इस लेख में जानें भारतीय इतिहास की वह मुस्लिम राजकुमारी जिसने अपने प्रभावशाली कार्यों से दिल्ली की सल्तनत पर अपना राज चलाया। उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और उनके योगदान पर विचार किए जाएंगे।
भारतीय इतिहास की मुस्लिम राजकुमारी: जिसने किया दिल्ली की सल्तनत पर राज
भारतीय इतिहास में मुस्लिम राजकुमारियों ने अपने समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनमें से एक ऐसी राजकुमारी थी जिन्होंने अपने साहसिक कदमों से दिल्ली की सल्तनत पर अपना प्रभाव डाला। यहाँ हम उनके बारे में विस्तार से जानेंगे।
Table of cantant
- परिचय
- उनका साहस
- उनका योगदान
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- सारांश
परिचय
मुस्लिम राजकुमारी नामक इस राजकुमारी का जन्म दिल्ली के पास स्थित एक समृद्ध मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता एक प्रमुख सल्तनत के सुल्तान थे, जो दिल्ली के संदर्भ में महत्वपूर्ण थे। इनकी शौर्यगाथाओं ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान प्राप्त कराया।
दिल्ली सल्तनत में महिलाएं महलों में आराम करती थीं। अपनी सुंदरता का ध्यान रखती थीं। उनके पास शस्त्र नहीं था। पुरुषों का शासन था। रानियों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी शासकों की हर बात का पालन करना थी। दिल्ली उस समय एक महिला के अधीन थी। जिसने समाज को एकजुट कर दिया। साबित किया कि सिर्फ पुरुषों को सत्ता पर अधिकार नहीं है। महिलाएं भी नेतृत्व कर सकती हैं। वह रजिया सुल्तान था।
रजिया ने पर्दा छोड़ दिया। हिजाब से बचें। दरबारों ने खुले चेहरे से प्रवेश किया। वह शिक्षा का महत्व जानती थी। यही कारण था कि जब उन्होंने दिल्ली की सत्ता संभाली, उन्होंने स्कूल बनाए। कुएं खोदें। कलाकारों और शोधकर्ताओं का सम्मान किया। ऐसी थीं रजिया सुल्तान, भारत की पहली महिला शासक।
उनका साहस
राजकुमारी नामक इस राजकुमारी ने अपने दृढ़ संकल्प और शौर्य से अपनी सल्तनत को मजबूती से संचालित किया। उन्होंने दिल्ली के राजनीतिक और सामाजिक प्रस्तावना में बदलाव लाने का प्रयास किया और अपनी सल्तनत को विकास के पथ पर ले जाने का कार्य किया।
उनका योगदान
राजकुमारी नामक इस राजकुमारी ने अपने समय में महिलाओं के समाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अपना योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए पहल की और अपनी सल्तनत के लोगों के लिए समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित की।
बदायूं में जन्मीं रजिया ऐसे बनीं पहली महिला शासक
15 अक्टूबर 1205 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी रजिया कम उम्र में हथियार चलाने लगी। पिता शम्स उद्दीन इल्तुतमिश ने अपनी बेटी को बहुत प्यार किया। उन्हें पता था कि रजिया में राजा होने के सभी गुण हैं। इसलिए उन्होंने अपनी उस बेटी पर बेटों से अधिक भरोसा किया। इसके बावजूद, उन्होंने अपने बड़े बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाया, लेकिन उसकी कम उम्र में मौत के बाद रजिया को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो देश की पहली महिला शासक बन गई।
मुस्लिम शासकों को पसंद नहीं आया शासक बनना
जंग का मैदान हो या दरबार, रजिया कभी भी पर्दा नहीं मानती थी। पुरुषों के क्षेत्र में काबिज होने के कारण रजिया उस समय के कई मुस्लिम शासकों की आंखों की किरकिरी बनीं। वह अपने समय की सबसे साहसी महिला थीं और लोगों से बिना हिचकिचाहट मिलती थीं। एक विशेष वर्ग ने उनका विरोध दबी जुबान में किया क्योंकि वे पुरुषवादी और रूढिवादी विचारधारा से प्रेरित थे।
कुछ शक्तिशाली लोग चाहते थे कि रजिया को विवाह करा दिया जाए। इनमें से एक था भटिंडा का राज्यपाल अल्तूनिया।
रजिया के भरोसेमंद याकूत की मौत
रजिया ने सत्ता संभालने के बाद अपने विश्वासपात्रों को काम देना शुरू किया। याकूत उनके विश्वासपात्र था। रजिया याकूत को कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों में पसंद किया गया है। वहीं, कुछ इतिहासकारों ने याकूत को भरोसेमंद बताया है। दोनों के प्रेम के बावजूद, दरबार के लोग याकूत को पसंद नहीं करते थे क्योंकि वे याकूत को बाहरी और तुर्क नहीं मानते थे।
अल्तूनिया ने रजिया की सल्तनत पर ध्यान दिया। मौका मिलते ही उसने अन्य राज्यपालों के साथ मिलकर हमला किया। याकूत जंग में मर गया, और रजिया गिरफ्तार कर लिया गया। अल्तूनिया ने रजिया से शादी कर दी।
स्वाभिमानी रजिया इतिहास में ऐसे अमर हो गईं
जब भाई मैजुद्दीन ने दिल्ली की सल्तनत पर कब्जा कर लिया, तो रजिया और अल्तूनिया ने मिलकर सत्ता को वापस लेने का प्रयास किया। लेकिन सफल नहीं हुआ। दोनों को वापस कैथल में चल रही सेना ने साथ छोड़ दिया। दोनों को मार डाला गया।
माना जाता है कि राजपूतों ने इनकी हत्या की। कुछ दस्तावेजों में इनकी हत्या डाकुओं ने की गई है। यह भी कहा गया है कि रजिया स्वाभिमानी थी और अपने दुश्मनों से घिरने के बाद आत्महत्या कर दी थी। 1236 में राज करने वाली रजिया 1240 में मर गईं, लेकिन देश की पहली महिला शासक के तौर पर वह इतिहास में अमर रह गईं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: इस राजकुमारी का नाम क्या था? उत्तर: इस राजकुमारी का नाम 'नामक' था।
प्रश्न 2: वे कितनी सल्तनत पर राज करती थीं? उत्तर: वे दिल्ली की सल्तनत पर राज करती थीं।
प्रश्न 3: उनके योगदान में क्या था? उत्तर: उनका योगदान महिलाओं के समाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने में था।
सारांश
राजकुमारी नामक इस राजकुमारी ने अपने समय में एक प्रमुख मुस्लिम राजकुमारी के रूप में अपना अद्वितीय स्थान बनाया। उनकी दृढ़ता और समर्थन ने दिल्ली की सल्तनत को मजबूती से संचालित किया और समृद्धि में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी शौर्यगाथाएँ और समर्थन आज भी इतिहास के पन्नों पर चमकती हैं।
तो आज हमने आपको भारतीय इतिहास की वो मुस्लिम राजकुमारी जिसने किया दिल्ली की सल्तनत पर राज के बारे में जानकारी दी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें फॉलो करना न भूलें।
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