भक्तों को दर्शन देने निकले भगवान जगन्नाथ, किया नगर भ्रमण

भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर में अपना भ्रमण किया। इस लेख में उनकी यात्रा और महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

भक्तों को दर्शन देने निकले भगवान जगन्नाथ, किया नगर भ्रमण
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भगवान जगन्नाथ के भक्तों को दर्शन देने निकला नगर भ्रमण

ओडिशा के पूर्वी किनारे स्थित पुरी नगर में इस समय एक अद्वितीय और भक्ति भरा माहौल है। यहां पर भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, जिसे सभी देशवासियों ने बड़े ही उत्साह से स्वागत किया है। इस उत्सव में लाखों भक्त और पर्यटक शामिल हो रहे हैं, जो जगन्नाथ मंदिर को दर्शन करने उसकी अनंत कृपा का अनुभव कर रहे हैं।

Table of Contents

  1. प्रस्तावना
  2. भगवान जगन्नाथ का परिचय
  3. रथ यात्रा का महत्व
  4. पुरी नगर के प्रमुख स्थल
  5. रथ यात्रा की तैयारियां और उत्सव का अंतिम दिन
  6. यात्रा के दौरान अनुभव
  7. उपसंहार

प्रस्तावना

भगवान जगन्नाथ के प्रेमी और भक्तों के लिए पुरी नगर इस समय विशेष महत्व रखता है। यहां पर भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा का उत्सव मनाया जा रहा है, जिसे भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण पर्वों में गिना जाता है। इस उत्सव के दौरान पुरी के उस माहौल का अनुभव करना अपने आप में एक अनुपम अनुभव होता है, जो आत्मा को शांति और समृद्धि प्रदान करता है। यहां पर इस उत्सव के महत्व, प्राचीनता, और भक्तों के भरपूर समर्थन की कहानी समेटी गई है।

रविवार को जगन्नाथ स्वामी स्वयं भक्तों को दर्शन देने के लिए पूर्णिया गए। भक्तों ने आस्था के साथ उनका दर्शन किया और प्रभु से विनती की कि तुम हमेशा मुझे अपनी कृपा दिखाते रहो। वास्तव में, हर साल पूर्णिया शहर में भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा निकाली गई।

ठीक ढाई बजे मंत्रोच्चार और जयकारे के बीच भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ फूलों से सजाए गए रथ पर सवार हुए और शहर घूमते हुए दिखाई दिए। पूरा भक्त समूह रथ के पीछे-पीछे चल रहा था। 

राधे-राधे के गीत गूंज रहे थे। रथयात्रा में शामिल होने के साथ-साथ कृष्णभक्तों में भी रथ खींचने की उत्सुकता थी। इस बीच, भगवान इन्द्र ने भी आसमान से बारिश करके रथयात्रा का स्वागत किया। शुरू से ही पूर्णिया की मेयर विभा कुमारी और समाजसेवी जीतेन्द्र यादव वहां मौजूद थे।

रविवार को पूर्णिया से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकली। यहां से स्टेशन रोड की यात्रा खुश्कीबाग, कप्तान पाड़ा, ओवर ब्रिज, गुलाबबाग जीरोमाइल और सिटी नाका चौक से वापस श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंची, जहां रथयात्रा भगवान श्री जगन्नाथ के जयघोष से समाप्त हुई। 

यात्रा शुरू होने से पहले भगवान को स्नान कराया गया, राजभोग लगाया गया और कपड़े बदले गए। बीच में महाआरती हुई, फिर भंडारा हुआ, जिसमें एक हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। समिति के अध्यक्ष मनजीत सिंह, राकेश राय, रंजन मिश्र, उमेश चौधरी, अनंत भारती, अजय दास, राजू मिश्रा, उदय चौधरी, पप्पू श्रीवास्तव, विजय शंकर, श्याम तापड़िया, चंदू मंडल, गजेन्द्र मंडल, छोटका मंडल, बिट्टू साह, आशिष मिश्रा, नित्य किशोर पांडे, हरी दास, मनोज झा, रजनु मंडल, अमित सिंह, श्री

भगवान जगन्नाथ का परिचय

भगवान जगन्नाथ हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिनकी पूजा और भक्ति भारतीय समुदायों में बहुत विशेष मानी जाती है। वे भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं, और उनके पूरे जीवन का मध्यदिन पुरी, ओडिशा में स्थित उनके मंदिर में बिताते हैं।

जगन्नाथ शब्द का अर्थ होता है 'जगत का नाथ' यानी 'विश्व के स्वामी'। उनके मंदिर का निर्माण ओडिशा के महाराज अनंत वर्मा ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। जगन्नाथ मंदिर, पुरी का वैश्विक रूप से प्रसिद्ध स्थल है, जहां उनके समर्पण के लिए लाखों श्रद्धालुओं का आना हर वर्ष होता है।

जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुबद्रा भी होती हैं, और इन तीनों को मिलकर त्रिदेव कहा जाता है। इनके मंदिर में रहने वाले मूर्तियों की विशेषता यह है कि वे हर साल रथ यात्रा के दौरान अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, जिसे लोग बहुत श्रद्धा और उत्साह से स्वागत करते हैं।

रथ यात्रा का महत्व

रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्ति और समर्पण का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पुरी नगर में हर वर्ष अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र, और बहन सुबद्रा की मूर्तियों को उनके मंदिर से निकालकर तीन विशाल रथों में रखकर मंदिर से रथ के साथ निकाले जाते हैं। यह यात्रा मंदिर से लेकर गुंडीचा टेम्पल तक चलती है, जो लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रथ यात्रा का उद्देश्य भगवान जगन्नाथ के भक्तों को उनके समीप लाना और उनके दर्शन करवाना है। यह पर्व भक्तों के लिए एक अद्वितीय अवसर होता है जब वे अपने देवता को समर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। रथ यात्रा में भाग लेने से लोगों को मानसिक शांति, ध्यान, और समृद्धि मिलती है।

इस पर्व की विशेषता यह है कि इसमें सभी वर्ग और समुदाय के लोग समान भाग लेते हैं और एक-दूसरे के साथ एकता और समरसता का परिचय प्राप्त करते हैं। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को रथ में खींचने का कार्य सभी भक्तों के लिए एक बड़ा समर्पण और सेवा का अवसर बनता है।

पुरी नगर के प्रमुख स्थल

  1. जगन्नाथ मंदिर: भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुबद्रा के धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता पाये जाने वाला यह मंदिर, पुरी का सबसे प्रमुख स्थल है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर के अंदर देवी-देवताओं की मूर्तियों का दर्शन करने के लिए लाखों भक्त यहां पहुँचते हैं।

  2. गुंडीचा टेम्पल: इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति स्थापित है, जहां से उन्हें रथ यात्रा के लिए निकाला जाता है। यहां का दर्शन करने से भक्तों को बड़ी शांति और ध्यान मिलता है।

  1. चक्र तीर्थ: यह स्थल पुरी के पवित्र समुद्र तट पर स्थित है और यहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीतोपदेश दिया था। यहां के सागर के किनारे ध्यान और मेधावी वातावरण में आत्मा को शुद्धि मिलती है।

  2. सुन टेम्पल: इस मंदिर में सूर्य देव की पूजा की जाती है और यहां के दर्शन करने से यात्री में ऊर्जा और शांति की अनुभूति होती है।

  3. चिलिका झील: पुरी से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित यह झील ओडिशा की प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है। यहां के वन्यजीवों के निकट यात्री अनोखी प्राकृतिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

रथ यात्रा की तैयारियां और उत्सव का अंतिम दिन

रथ यात्रा के उत्सव की तैयारियां बहुत ही धूमधाम से की जाती हैं। इस पर्व के लिए पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुबद्रा के रथ की निर्माणत्मक तैयारी होती है। इन रथों के निर्माण में पूरी समुदाय का सहयोग होता है और विशेषकर रथ के लिए विभिन्न प्रकार के फूलों, पत्तियों, और फलों से सजावट की जाती है।

उत्सव का अंतिम दिन रथ यात्रा का होता है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुबद्रा की मूर्तियाँ उनके मंदिर से निकालकर उनके विशाल रथों में स्थापित की जाती हैं। इस दिन लाखों भक्त और पर्यटक शहर में आते हैं और इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनते हैं। रथ यात्रा के दौरान रथ बड़ी धूमधाम से पूरी सड़कों पर निकलते हैं, और भक्तों की भीड़ और श्रद्धा का पर्व देखने को मिलता है।

इस उत्सव के दौरान पुरी शहर विशेष रूप से उत्साह और उमंग से भर जाता है, और भगवान जगन्नाथ के निकट इस अद्वितीय समर्पण का अनुभव करने के लिए लोगों का आना हर साल अद्वितीय अनुभव होता है।

यात्रा के दौरान अनुभव

रथ यात्रा के दौरान अनुभव एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अनुभव होता है, जो भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संपन्न करता है। इस दिन पुरी शहर में भक्तों और पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक होती है, और सड़कों की धार बस रथों के लिए सजी होती है।

  1. भक्तिपूर्ण वातावरण: रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ के भक्त अपनी भक्ति और समर्पण का प्रदर्शन करते हैं। यहां पर सभी लोगों का एक समान भागीदारी होती है और सभी धर्मिक समुदायों के लोग एकत्रित होते हैं।

  2. ध्यान और शांति: रथ यात्रा के दौरान रथ की धूल और भक्तों की ध्यानवशता देखने योग्य होती है। इस उत्सव के समय पुरी नगर में एक अद्वितीय शांति और ध्यान की वातावरण बनता है, जो लोगों को मानसिक शांति प्रदान करता है।

  1. भगवान के समीप: रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुबद्रा की मूर्तियों को रथ में स्थापित करने का कार्य सभी भक्तों के लिए एक बड़ी समर्पणा और सेवा का माध्यम होता है। यह भक्तों को अपने देवता के समीप महसूस कराता है और उन्हें आत्मिक समृद्धि और शांति की अनुभूति होती है।

रथ यात्रा का अनुभव एक सामूहिक और धार्मिक अनुभव है, जो भक्तों को नए उत्साह और प्रेरणा से भर देता है। इस दिन पुरी नगर में भक्ति और समर्पण की अत्यधिक भावना होती है, जो लोगों को अन्यथा नहीं मिलती।

उपसंहार

रथ यात्रा एक ऐतिहासिक और धार्मिक पर्व है जो पुरी नगर में भगवान जगन्नाथ के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेषकर हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है और लाखों भक्तों को एकत्रित करता है। रथ यात्रा के दौरान भक्तों को अपने देवता के समीप महसूस करने का अवसर मिलता है और उन्हें धार्मिक अनुभूति और आध्यात्मिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस यात्रा में सभी वर्गों के लोग भाग लेते हैं, जो इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक उत्सव बनाता है। रथ यात्रा के समय पुरी नगर की सड़कों पर रथ का पवित्र परिचालन देखने के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त आते हैं। यह पर्व भक्ति, श्रद्धा, और समर्पण का प्रतीक है, जो लोगों को एक साथ जोड़ता है और धार्मिक संस्कृति को अग्रणी बनाए रखता है।

तो आज हमने आपको भक्तों को दर्शन देने निकले भगवान जगन्नाथ, किया नगर भ्रमण के बारे में जानकारी दी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें फॉलो करना न भूलें।

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