गंगोत्री-यमुनोत्री से देवप्रयाग तक, टिहरी गढ़वाल में हैं ये टॉप 10 टूरिस्ट प्लेस

गंगोत्री-यमुनोत्री से देवप्रयाग तक, टिहरी गढ़वाल में ये टॉप 10 टूरिस्ट प्लेस आपको एक अद्वितीय पर्यटन अनुभव प्रदान करेंगे। इन खूबसूरत स्थानों की यात्रा आज ही प्लान करें।

गंगोत्री-यमुनोत्री से देवप्रयाग तक, टिहरी गढ़वाल में हैं ये टॉप 10 टूरिस्ट प्लेस
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गंगोत्री-यमुनोत्री से देवप्रयाग तक, टिहरी गढ़वाल में हैं ये टॉप 10 टूरिस्ट प्लेस

उत्तराखंड का टिहरी गढ़वाल जिला अपने धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां गंगोत्री और यमुनोत्री के पवित्र धाम से लेकर देवप्रयाग तक कई महत्वपूर्ण और खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं। आइए जानते हैं टिहरी गढ़वाल के टॉप 10 टूरिस्ट प्लेस के बारे में।

अनुक्रमणिका (Table of Contents)

  1. परिचय
  2. गंगोत्री धाम
  3. यमुनोत्री धाम
  4. देवप्रयाग
  5. टिहरी झील
  6. चंद्रबदनी मंदिर
  7. कुंजापुरी मंदिर
  8. सुरकंडा देवी मंदिर
  9. धनौल्टी
  10. कैम्पटी फॉल्स
  11. नागटिब्बा ट्रेक
  12. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

गंगोत्री धाम

गंगोत्री धाम गंगा नदी का उद्गम स्थल है और चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा मां का आशीर्वाद लेने आते हैं।गंगा नदी का उद्गम स्थान गंगोत्री है, जो उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में से एक है। नदी भागीरथी से निकलती है और देवप्रयाग से अलकनंदा में मिलती है, जहाँ से उसका नाम गंगा है। पवित्र नदी का उद्गम गंगोत्री ग्लेशियर से 19 किलोमीटर की दूरी पर गोमुख पर है।

dev prayag

2. यमुनोत्री धाम

यमुनोत्री धाम यमुना नदी का उद्गम स्थल है और चार धाम यात्रा का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां की यात्रा कठिन होती है, लेकिन यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।यमुना नदी उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मीटर ऊँचाई पर बहती है। यह भी देवता यमुना का निवास स्थान है। यहाँ यमुना देवी का मंदिर है। यह चार छोटे धामों में से एक है और एक प्रमुख हिंदू तीर्थ है।

3. देवप्रयाग

देवप्रयाग वह स्थान है जहां अलकनंदा और भागीरथी नदियों का संगम होता है और ये गंगा नदी का रूप धारण करती हैं। यहां का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।हिंदू तीर्थयात्री भारत के हर कोने से देवप्रयाग में श्री रघुनाथ जी का मंदिर देखते हैं। अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग बसा है। यहीं से दोनों नदियों की मिलकर बनने वाली धारा को 'गंगा' कहा जाता है। यह टेहरी से 18 मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व है। इस तीर्थस्थल का प्राचीन हिंदू मंदिर है। इसका नाम भी संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की तरह दिया गया है।

4. टिहरी झील

टिहरी झील एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां लोग बोटिंग, वॉटर स्पोर्ट्स और पिकनिक का आनंद लेने आते हैं। यह झील टिहरी बांध के निर्माण से बनी है।उत्तराखंड एक देवभूमि है, जो नदियों और पर्वतों से भरपूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। टिहरी शहर भागीरथी और भिलंगना नदियों के संगम पर था, जिसे गणेश प्रयाग कहा जाता था। टिहरी बाँध, विश्व के सबसे बड़े बांधों में से एक था, के निर्माण से टिहरी शहर डूब गया, जिससे आज सुमन सागर नामक टिहरी झील बन गई। टिहरी शहर की जगह नई टिहरी शहर बनाई गई है।
टिहरी बांध निर्माण योजना के तहत उत्तराखंड राज्य सरकार ने टिहरी झील को एक साहसिक पर्यटन स्थल बनाने का फैसला किया है। टिहरी झील में जेट स्कीइंग से हॉट एयर बैलून सवारी तक बहुत कुछ है।

5. चंद्रबदनी मंदिर

चंद्रबदनी मंदिर देवी चंद्रबदनी को समर्पित है और यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यहां से हिमालय के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं।उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में जामनीखाल नामक एक छोटे से गांव में स्थित चंद्रबदनी देवी मंदिर एक हिंदू तीर्थस्थल है। देवी सती के कई पवित्र मंदिरों में से एक है चंद्रबदनी मंदिर। चंद्रबदनी मंदिर, इतिहास में चंद्रकूट पर्वत भी कहलाता था, 2277 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां देवी सती की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

6. कुंजापुरी मंदिर

कुंजापुरी मंदिर शक्ति पीठों में से एक है और यह स्थान ट्रेकिंग और सनराइज व्यू के लिए प्रसिद्ध है। यहां से देखने वाला सूर्योदय अद्भुत होता है।टिहरी गढ़वाल क्षेत्र में कुंजापुरी मंदिर सबसे अच्छे दर्शनीय स्थलों में से एक है क्योंकि यह देवताओं और देवी-देवताओं से जुड़ा है, साथ ही उत्तर में स्वर्ग रोहिणी, गंगोत्री, बंदरपंच और चौखंबा जैसी गढ़वाल हिमालय की चोटियों और दक्षिण में ऋषिकेश, हरिद्वार और दून घाटी के सुंदर दृश्यों के कारण। कुंजापुरी मंदिर 1,676 मीटर ऊंची पहाड़ी की चोटी पर है. यह नरेंद्र नगर से 7 किमी दूर, ऋषिकेश से लगभग 15 किमी दूर और देवप्रयाग से 93 किमी दूर है।

7. सुरकंडा देवी मंदिर

सुरकंडा देवी मंदिर देवी सती को समर्पित है और यह स्थान धार्मिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है। यहां की यात्रा ट्रेकिंग के माध्यम से की जाती है।सुरकंडा मंदिर टिहरी जिले के पश्चिमी भाग में 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मसूरी चंबा मोटर मार्ग पर पर्यटन स्थल धनोल्टी से 8 किलोमीटर और नरेंद्र नगर से लगभग 61 किलोमीटर की दूरी पर है। जिला मुख्यालय नई टिहरी से 41 किमी. दूर चंबा मसूरी रोड पर कद्दुखाल नामक स्थान है. लगभग 2.5 किमी. पैदल चलकर सुरकंडा माता के मंदिर तक पहुंच सकते हैं। सुरकंडा माता का मंदिर जंगल से घिरा है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहाँ से देहरादून, ऋषिकेश, चकराता, प्रतापनगर और चन्द्रबदनी की सुंदर नज़र आती है। 

8. धनौल्टी

धनौल्टी एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए जाना जाता है। यहां की हरी-भरी वादियां और ठंडी जलवायु पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।ये स्थान धनौल्टी मसूरी से लगभग तीस किलोमीटर दूर टिहरी जाने वाली सड़क पर है और शांत और सुंदर है। ये अब एक हिल स्टेशन के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। देवदार के जंगल धनौल्टी को घेरता है। अब इसकी पहचान देवदार का जंगल है। यहां रहने के लिए कुछ होटल हैं। गढवाल मंडल टूरिज्म भी एक होटल है। धनौल्टी एक अच्छा स्थान है अगर आप शहर की व्यस्तता से दूर रहना चाहते हैं। मसूरी का दौरा करने के बाद आप यहां ठहर सकते हैं।

9. कैम्पटी फॉल्स

कैम्पटी फॉल्स एक प्रसिद्ध झरना है जो मसूरी के पास स्थित है। यह स्थान पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध है।केम्प्टी फॉल्स एक झरना है जो केम्प्टी के दक्षिण में है और टिहरी गढ़वाल जिले के उत्तराखंड में है। यह मसूरी से 13 किलोमीटर (8 मील) और देहरादून से 45 किलोमीटर (28 मील) दूर है, चकराता रोड पर। यह समुद्रतल से लगभग 1364 मीटर ऊपर है, 78°-02'पूर्वी देशांतर और 30°-29'उत्तरी अक्षांश पर। केम्प्टी फॉल्स और उसके आसपास का क्षेत्र चार हजार फीट की ऊँचाई पर है। दस लाख से अधिक लोग इस झरने को देखने आते हैं।

10. नागटिब्बा ट्रेक

नागटिब्बा ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए एक अद्भुत स्थान है। यहां से हिमालय की चोटियों का खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है।सुबह 6 बजे के आसपास देहरादून से निकलें और सुबह 10 बजे तक पंथवारी गांव पहुंचें। दृश्य इतना आकर्षक है कि आप बार-बार रुक सकते हैं क्योंकि सड़क चिकनी है। लघु हिमालय पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी नाग टिब्बा या सर्प शिखर गढ़वाल में है। तीन रास्तों में से सबसे छोटा पंथवारी (पंतवारी) गांव है, जो नाग टिब्बा तक जाता है, लेकिन लुभावने प्राकृतिक नजारों से भरा हुआ है।यह ट्रेक पंथवारी से शुरू होता है और पहले कैंपसाइट खातियान तक लगभग पांच से छह घंटे का ट्रेक है। गाँव से बाहर पगडंडी पर चलने के बाद आप स्थानीय नाग देवता मंदिर देखेंगे।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम कब जाने का सबसे अच्छा समय है? गंगोत्री और यमुनोत्री धाम का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है।

2. देवप्रयाग में क्या देखने योग्य है? देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी नदियों का संगम देखने योग्य है। इसके अलावा, यहां का रघुनाथ मंदिर भी प्रसिद्ध है।

3. टिहरी झील में कौन-कौन सी गतिविधियाँ की जा सकती हैं? टिहरी झील में बोटिंग, वॉटर स्पोर्ट्स, और पिकनिक जैसी गतिविधियाँ की जा सकती हैं।

4. चंद्रबदनी मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है? चंद्रबदनी मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और यहाँ तक पहुँचने के लिए आप टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं।

5. धनौल्टी में ठहरने के लिए कौन-कौन सी जगहें हैं? धनौल्टी में कई होमस्टे, होटल और रिसॉर्ट्स उपलब्ध हैं जहां आप ठहर सकते हैं।

टिहरी गढ़वाल के ये स्थान अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। अगर आप अपनी छुट्टियों में इन जगहों की यात्रा का प्लान बना रहे हैं, तो यह एक यादगार अनुभव साबित हो सकता है।

  1. तो आज हमने आपको गंगोत्री-यमुनोत्री से देवप्रयाग तक, टिहरी गढ़वाल में हैं ये टॉप 10 टूरिस्ट प्लेस के बारे में जानकारी दी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें फॉलो करना न भूलें।

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