Divis Lab Success Story:. 12वीं फेल सख्श ने 1 लाख करोड़ की कंपनी बनाई, Read Full story here
Discover the success story of Divis Lab, who make 1 lakh crore company
Introductions about Divis Lab:
Divi Lab की सफलता की कहानी: लोग स्टार्टअप और बिजनेस की दुनिया में प्रेणना की कई कहानियां सुनते हैं। हम आज आपके लिए एक प्रेरणादायक स्टार्टअप की कहानी लाए हैं, जिसे पढ़कर आप बहुत कुछ सीखेंगे।
आज हम एक ऐसे व्यक्ति की बात कर रहे हैं जो अपनी बारहवीं क्लास में दो बार फेल हो गया था और उसके परिवार और साथी उसे ताने मारते रहते थे, लेकिन आज उसी व्यक्ति ने बिजनेस जगत में करोड़ों की कंपनी बना दी है।
यहां पर हम Divis Labs के संस्थापक मुरली डीवी से बात कर रहे हैं, जो आज लगभग एक लाख करोड़ रुपए की कंपनी बन चुकी है। हम आज के लेख में Divis Lab की सफलता की कहानी बताएँगे, जो मुरली डीवी ने करोड़ों रुपये की कंपनी बनाई है।
Table of Contents of this Article |
|
Divis Lab Success Story कुछ इस तरह से सुरु हुई:
Murli Divi आंध्र प्रदेश के एक गरीब परिवार में जन्मे हैं। मुरली के पिता ने अपनी कमाई से पूरे परिवार को पालन पोषण किया. वे एक छोटे से कार्यालय में काम करते थे।
मुरली बचपन से पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, यही कारण था कि वे बारहवीं में दो बार फेल हुए। लेकिन मुरली डीवी ने इसके बावजूद अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और 1976 में 25 वर्ष की उम्र में अमेरिका चले गए।
Forbes India ने बताया कि मुरली की जेब में सिर्फ 500 रुपये थे जब वे अमेरिका चले गए। लेकिन आज मुरली करोड़ों के मालिक हैं।
Started Job in USA: Divi Lab का सफलता का इतिहास:
मुरली डीवी ने अमेरिका में फार्मासिस्ट के रूप में काम करना शुरू किया. वह हर साल लगभग 65,000 हजार डॉलर कमाते थे, जो भारत में 54 लाख रुपये होते हैं।
अमेरिका में कुछ साल काम करने के बाद मुरली डीवी ने भारत वापस आने का निर्णय लिया. उस समय उनके पास सिर्फ 33 लाख रुपए थे।
Again started a Business in India:
अमेरिका से वापस भारत लौटने के बाद मुरली ने भी कोई निर्णय नहीं लिया था कि वे क्या करेंगे। लेकिन मुरली भारत वापस आए। यहां वापस आने पर मुरली ने 1984 में फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में एक कंपनी में काम किया। जहां काम करने के बाद, मुरली ने 1990 में Divis Lab की स्थापना की, पहली यूनिट तेलंगाना में।
Divis Lab में मुरली ने दवा बनाने के लिए उसके कच्चे माल या API बनाना शुरू किया। Divis Lab आज फार्मा क्षेत्र में API बनाने वाले तीन बड़ी कंपनियों में से एक है।
As of now Divi Lab become a Million Dollar Company:
Divis Lab, जो 1984 में शुरू हुआ था, आज एक करोड़पति कंपनी है। आज व्यापार जगत में इस कंपनी का मूल्य लगभग 1 लाख करोड़ रुपए है। साथ में, ये कंपनी हर साल करोड़ों रुपये कमाती हैं।
Case Study of Divis Lab Success Story:
Divis Lab Success Story Conclusions:
Aspect | Details |
---|---|
Company Name | Divi’s Laboratories |
Founded | 1990 |
Headquarters | Hyderabad, India |
Founder | Dr. Divi Murali Krishna Prasad |
Subsidiary Brands | - Divi’s Laboratories (USA) Inc (New Jersey, USA) - Divi’s Laboratories Europe AG (Basel, Switzerland) |
Manufacturing Units | Three (Near Hyderabad and Visakhapatnam, India) |
R&D Centers | Three in India |
Patents | 42 |
Employees | More than 17,000 |
Leadership | - Dr. Divi Murali Krishna Prasad (Chairman and Managing Director) - Dr. Satchandra Kiran Divi (Whole-time Director & CEO) - Nilima Prasad Divi (Whole-Time Director, Commercial) |
Recent Achievement | Top three API manufacturers globally; one of the top API firms in Hyderabad |
Industry Growth Prediction | Global pharmaceuticals manufacturing industry CAGR of 11.34% from 2021 to 2028; Indian pharmaceutical sector expected to be worth US$ 49 billion in FY22 |
Notable Audits | USFDA, EU GMP, HEALTH CANADA, TGA, ANVISA, COFEPRIS, PMDA, MFDS |
Mission | Creating value through high-quality APIs, custom synthesis, and sustainable leadership in chemistry |
Vision | Adding significance to manufacturing through core values and societal service |
Core Business Values | Financial Stability, Reliable Supply Partner, Trustworthiness, Transparency, Complimentary |
हम आशा करते हैं कि यह लेख आपको Divis Lab की सफलता की कहानी बताया है। ताकि वे भी Divis Lab Success Story को जान सकें, अपने दोस्तों के साथ इसे अवश्य साझा करें। अगर आपको हमारी ये स्टोरी अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें , ताकि हम और भी सक्सेस्फुल लोगों की सक्सेस journey आप लोगों के सामने लटें रहें। www.hindimejankari.org पर आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यबाद.