शेख हसीना के आखिरी 45 मिनट: बांग्लादेश में आरक्षण ने कैसे बदली राजनीति?

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शेख हसीना के आखिरी 45 मिनट: बांग्लादेश में आरक्षण ने कैसे बदली राजनीति?
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शेख हसीना के आखिरी 45 मिनट: बांग्लादेश में आरक्षण ने कैसे बदली राजनीति?

बांग्लादेश में सरकार संकट की स्थिति अब विकट हो चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार, 5 अगस्त को अचानक देश छोड़ने के लिए केवल 45 मिनट का समय दिया गया। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब बांग्लादेश की सेना ने उन्हें यह समय दोपहर में दिया और स्पष्ट कर दिया कि उन्हें तुरंत देश छोड़कर जाना होगा। इस दौरान, शेख हसीना के पास कुछ भी साथ ले जाने का विकल्प नहीं था। उनके परिवार के सदस्य पहले से ही देश के बाहर थे, क्योंकि बांग्लादेश की बढ़ती गतिविधियों के चलते हालात नियंत्रण के बाहर जाते दिख रहे थे।

शेख हसीना की विदाई से पहले की तैयारी

सूत्रों के अनुसार, देश छोड़ने से पहले शेख हसीना ने राष्ट्र के नाम वीडियो संदेश देने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन बांग्लादेश सेना ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया। शेख हसीना ने अपने विचारों को साझा करने के लिए एक चिट्ठी भी तैयार की थी, जिसे उन्होंने वीडियो संदेश के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया। हालांकि, सेना के अधिकारियों ने इस चिट्ठी को पढ़ने और वीडियो बनाने की अनुमति नहीं दी, जिससे उनकी अंतिम इच्छा भी अधूरी रह गई।

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देश के प्रति शेख हसीना की चिंता

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश को संदेश देना चाहा और बताना चाहा कि वह अपने देश में शांति बहाल करने के लिए क्या कदम उठा रही थीं। दरअसल, बांग्लादेश सेना में अब दो गुट हो चुके थे। सेना के बड़े अधिकारी शेख हसीना के पक्ष में थे, जबकि सेना के जूनियर अधिकारी और 60 रिटायर्ड अफसर उनके खिलाफ थे। इसी द्वंद्व के बीच, दोपहर 1 बजे सेना की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की एक अहम बैठक हुई।

लॉन्ग मार्च के दौरान बांग्लादेश में तनाव

इस बैठक के बाद, सेना ने स्पष्ट कर दिया कि 5 मार्च को छात्रों के लॉन्ग मार्च के दौरान, उन्हें ढाका आने से नहीं रोका जाएगा। सोमवार, 5 अगस्त की सुबह 9 बजे तक स्थिति सामान्य थी। लेकिन 9 बजे के बाद, गाजीपुर सीमा से हजारों छात्रों का दल ढाका में प्रवेश कर गया, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई। इसके चलते, सेना ने शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए केवल 45 मिनट का समय दिया।

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बांग्लादेश के भविष्य पर सवाल

इस संकट के चलते, बांग्लादेश के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। सरकार संकट और सेना के दो गुटों में विभाजन से देश में अस्थिरता की स्थिति बन गई है। शेख हसीना के देश छोड़ने से अब यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव चरम पर है। इसके साथ ही, शेख हसीना के देश से बाहर जाने के बाद, बांग्लादेश की जनता के मन में भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि उनका भविष्य अब कैसा होगा। बांग्लादेश की सरकार और सेना को अब जल्द से जल्द स्थिरता लाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि देश में शांति और विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।

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