रांची ED Raid: ₹10 हजार के कारण पकड़ाया 35 करोड़ का खजाना, जाने विस्तार से !
रांची में ED Raid में ₹10 हजार के कारण 35 करोड़ का खजाना मिला। जानिए कैसे नोटों का पहाड़ पकड़ा गया।
ED Raid in Ranchi: ₹10 हजार के चक्कर में पकड़ा गया 35 करोड़ का खजाना, कैसे मिला ED को रांची में नोटों का पहाड़?
भारत में जब भी कोई बड़ा छापा पड़ता है, तो हर कोई हैरान रह जाता है। हाल ही में रांची में ED (प्रवर्तन निदेशालय) के छापे में जो हुआ, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। सिर्फ ₹10 हजार के लेन-देन की जांच करते-करते ED ने 35 करोड़ रुपये के खजाने का पता कैसे लगाया? आइए जानते हैं इस दिलचस्प कहानी के पीछे की पूरी सच्चाई।
Table of Contents
Sr# | Headings |
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1 | रांची में ED का छापा: एक नजर में |
2 | ₹10 हजार की जांच से कैसे हुआ खुलासा? |
3 | छापे में क्या-क्या मिला? |
4 | ED की रणनीति और जांच का तरीका |
5 | रांची का यह मामला इतना खास क्यों? |
6 | लोकल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया |
7 | राजनीतिक प्रभाव और बयान |
8 | आर्थिक अपराधों पर क्या कहती है सरकार? |
9 | फिल्मी अंदाज में ED का छापा |
10 | क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स? |
11 | भविष्य में इस मामले का क्या होगा? |
12 | ED की कार्यप्रणाली पर उठते सवाल |
13 | अन्य चर्चित छापों की कहानियां |
14 | समाप्ति और आगे की राह |
15 | FAQs: इस मामले से जुड़े पांच सवाल |
रांची में ED का छापा: एक नजर में
कुछ दिन पहले रांची में ED ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन तब शुरू हुआ जब ED को ₹10 हजार के संदिग्ध लेन-देन की जानकारी मिली। इस मामूली रकम की जांच करते हुए उन्होंने एक विशाल खजाने का पता लगाया, जिसमें 35 करोड़ रुपये नकद और अन्य कीमती सामान शामिल थे।
₹10 हजार की जांच से कैसे हुआ खुलासा?
यह सुनने में जितना अजीब लगता है, उतना ही रोमांचक भी है। ED को ₹10 हजार का एक संदिग्ध लेन-देन मिला, जिसने उन्हें इस पूरे नेटवर्क तक पहुंचाया। यह छोटा सा धागा धीरे-धीरे खुलता गया और अंततः एक बड़े जाल का खुलासा हुआ। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे किसी छोटे से सुराग से पूरी कहानी का पर्दाफाश हो जाता है।
छापे में क्या-क्या मिला?
ED की टीम ने रांची के एक घर से 35 करोड़ रुपये नकद बरामद किए। इसके अलावा वहां से कई दस्तावेज, ज्वेलरी, और कई अन्य कीमती सामान भी मिले। यह सब देखकर ED की टीम भी चौंक गई। इतनी बड़ी रकम और सामान का बिना किसी रिकॉर्ड के मिलना अपने आप में एक बड़ी बात थी।
झारखंड की राजधानी रांची में ED को नोटों का एक भंडार मिला है, जिसे गिनते-करते अफसर थक गए और मशीनें भी जवाब देने लगीं। सोमवार को ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के सचिव से कथित रूप से जुड़े एक घरेलू सहायक के कई स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें 35.23 करोड़ रुपये की ‘बेहिसाबी’ नकदी और कई आधिकारिक दस्तावेज बरामद किए गए। ईडी के सूत्रों ने बताया कि मंत्री से जुड़े स्थानों से 32 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की गई, वहीं तीन करोड़ रुपये से अधिक की नकदी कुछ अन्य स्थानों पर की गई तलाशी में बरामद की गई। अब सवाल उठता है कि ED को आखिर क्यों यह बेहिसाब धन मिलेगा?
वास्तव में, इस पूरे मामले में ED सिर्फ 10 हजार रुपये में आरोपियों के 32 करोड़ रुपये की संपत्ति तक पहुंची है। अधिकारियों ने भी नहीं सोचा था कि ऐसे बड़े खुलासे होंगे जब पिछले साल फरवरी में झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। वीरेंद्र राम को 10,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने 10 हजार रुपए की रिश्वत की समस्या को हल करते हुए 32 करोड़ रुपए के नोटों का एक भंडार पाया है।
India टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी वीरेंद्र राम ने पिछले साल पूछताछ के दौरान भ्रष्टाचार के एक व्यापक नेटवर्क का खुलासा किया, जिसमें उसने कई अधिकारियों का नाम लिया। उसने विभिन्न चैनलों के माध्यम से रिश्वत का पैसा भेजा जाता था, खासकर निविदा प्रक्रिया के दौरान। ईडी ने इस खुलासे के बाद राम के दावों की पुष्टि की और फिर एक व्यापक जांच शुरू की।
इसके बाद की पूछताछ में झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में व्यापक प्रकृति का भ्रष्टाचार सामने आया,9 मई, पिछले साल, ED ने राज्य के मुख्य सचिव को एक गोपनीय पत्र भेजा, जिसमें तत्काल कार्रवाई की मांग की गई। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि खुद इस जांच के दायरे में रहे लोगों के भी हाथ गोपनीय पत्र लग गए थे। यही कारण है कि भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आते रहे और कोई कार्रवाई नहीं की गई।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जांच एजेंसी ED ने फ्लैट से मई 2023 में ED की रांची इकाई को लिखा गया एक आधिकारिक पत्र भी जब्त किया. इस पत्र में ED ने ठेकेदारों से कथित रूप से ली गई रिश्वत के "खुलासे" की स्वतंत्र जांच और प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी। ईडी ने इस मामले में पिछले साल गिरफ्तार किए गए ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम ने ये कथित खुलासे किए।
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुकूल स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए आलम को लिखे गए कुछ सिफारिशी पत्र भी उक्त स्थान से बरामद किए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि अभियान के दौरान छह स्थानों की खोज की गई, और एक स्थान से 2.93 करोड़ रुपये और दूसरे स्थान से 10 लाख रुपये बरामद किए गए।
ईडी ने पिछले साल ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम को गिरफ्तार किया था, जिससे यह छापेमारी धनशोधन के मामले से जुड़ी है। रांची में ग्रामीण कार्य विभाग में मुख्य अभियंता के रूप में तैनात वीरेंद्र कुमार राम ने ठेकेदारों को निविदा आवंटित करने के बदले में उनसे रिश्वत के नाम पर अवैध कमाई की थी, जैसा कि पिछले साल एजेंसी ने जारी किया था।
अधिकारी की 39 करोड़ रुपये की संपत्ति एजेंसी ने जप्त की थी। बयान में कहा गया कि वीरेंद्र कुमार राम और उनके परिवार के सदस्यों ने इस प्रकार अपराध से अर्जित आय का उपयोग करके ‘आलीशान’ जीवनशैली जीता था।’ वीरेंद्र के खिलाफ धनशोधन का मामला झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)एक शिकायत के साथ जुड़ा हुआ है।
ED की रणनीति और जांच का तरीका
ED ने इस मामले में पूरी प्लानिंग के साथ काम किया। सबसे पहले उन्होंने छोटे-छोटे सुरागों को जोड़ना शुरू किया। फिर उन्होंने संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों पर नज़र रखी और अंततः सही समय पर छापा मारा। यह पूरी रणनीति किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी ही थी।
लोकल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
रांची में इस मामले को लेकर हर तरफ चर्चा है। लोकल मीडिया ने इसे बड़े पैमाने पर कवर किया है। जनता में इस मामले को लेकर काफी उत्सुकता है और लोग जानना चाहते हैं कि आखिर इस बड़े खुलासे के पीछे की सच्चाई क्या है।
राजनीतिक प्रभाव और बयान
इस मामले ने राजनीतिक हलचल भी बढ़ा दी है। कई नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने ED की तारीफ की है तो कुछ ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का राजनीतिक असर कितना और कब तक रहेगा।
आर्थिक अपराधों पर क्या कहती है सरकार?
सरकार का कहना है कि ऐसे आर्थिक अपराधों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह भी कहा है कि यह मामला साबित करता है कि भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए वे पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
फिल्मी अंदाज में ED का छापा
इस पूरे मामले को देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई फिल्म चल रही हो। छोटे-छोटे सुरागों से बड़ा खुलासा, छापेमारी की प्लानिंग, और अंत में 35 करोड़ का खजाना मिलना। यह सब किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
वित्तीय अपराधों के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह मामला हमें सिखाता है कि कितनी ही छोटी सी बात भी बड़े अपराध का सुराग बन सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ED की इस कार्रवाई से भविष्य में आर्थिक अपराधों पर अंकुश लग सकता है।