असम में मुस्लिम आबादी 40% पर पहुँची: सीएम हिमंत बिस्व सरमा का डेमोग्राफी बदलने पर बड़ा बयान - जानिए क्या कहा मुख्यमंत्री ने
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य की डेमोग्राफी में बदलाव पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि असम में मुस्लिम आबादी अब 40% हो गई है। इस बयान से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। जानिए क्या कहा मुख्यमंत्री ने और इसका असम की सामाजिक और राजनीतिक संरचना पर क्या असर हो सकता है।
हिमंत बिस्व सरमा: असम में बदलती डेमोग्राफी पर बड़ा बयान
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार, 17 जुलाई को राज्य की बदलती डेमोग्राफी पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि असम में मुस्लिम आबादी अब 40% तक पहुँच गई है। यह बयान झारखंड के रांची में हुई एक सभा के दौरान सामने आया, जहां सीएम सरमा बीजेपी के सह प्रभारी के रूप में उपस्थित थे।
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, "असम की डेमोग्राफी में आया बदलाव मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। आज असम में मुस्लिम आबादी 40% तक पहुँच गई है। 1951 में यह आबादी 12% थी। इस दौरान हमने कई जिले भी खो दिए हैं। यह मेरे लिए राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह जीने और मरने का सवाल है।"
असम के मुख्यमंत्री ने बिना किसी धर्म का नाम लिए कहा कि "मैं यह नहीं कह रहा कि कोई भी अपराध किसी एक विशेष धर्म की ओर से किया जाता है, लेकिन हाल के दिनों में लोकसभा चुनाव के दौरान हुई घटनाएं चिंता का विषय हैं।" झारखंड में अपनी यात्रा के कारण के बारे में पूछे जाने पर सरमा ने मजाकिया लहजे में कहा कि वह रिचार्ज होने के लिए झारखंड आए हैं।
इससे पहले, 23 जून को हिमंत बिस्व सरमा ने दावा किया था कि बांग्लादेशी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया था। इन लोगों ने केंद्र और राज्य की बीजेपी नीत सरकारों के विकास कार्यों को नजरअंदाज करते हुए वोटिंग की।
उन्होंने यह भी दावा किया था कि बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक ही एकमात्र ऐसा समुदाय है, जो राज्य में सांप्रदायिकता में शामिल रहता है।
सरमा का बयान और राजनीतिक प्रतिक्रिया
हिमंत बिस्व सरमा का यह बयान असम की राजनीति में हलचल मचाने वाला है। राज्य की डेमोग्राफी में बदलाव और मुस्लिम आबादी में वृद्धि के मुद्दे पर उनके बयान से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। सरमा का कहना है कि यह मुद्दा उनके लिए सिर्फ राजनीतिक नहीं है, बल्कि जीवन-मरण का सवाल है।
असम की वर्तमान स्थिति
असम की जनसांख्यिकी में आए इस बदलाव के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जनसंख्या वृद्धि, प्रवास, और सामाजिक-आर्थिक कारक शामिल हैं। इस बदलाव का प्रभाव राज्य की राजनीति, सामाजिक संरचना और प्रशासनिक नीतियों पर भी पड़ सकता है।
निष्कर्ष
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का बयान राज्य की डेमोग्राफी में आए बदलाव को लेकर गंभीर चिंता प्रकट करता है। उनके अनुसार, यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि जीवन-मरण का सवाल है। इस बयान ने असम की राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दिया है और आने वाले समय में इस मुद्दे पर और भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।
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